Hypersonic Missile: भारत ने अपनी रक्षा शक्ति को एक नई ऊँचाई तक पहुँचाते हुए एक नई हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है, जो दुनिया की सबसे तेज मिसाइलों में से एक है। इस मिसाइल को ‘ET-LDHCM’ (Extended Trajectory Long Duration Hypersonic Cruise Missile) नाम दिया गया है, जो भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के अत्यधिक गोपनीय प्रोजेक्ट ‘विष्णु’ के तहत विकसित की गई है। इस मिसाइल की रफ्तार लगभग 11,000 किलोमीटर प्रति घंटा (मैक 8) तक हो सकती है, जो इसे किसी भी वर्तमान मिसाइल की तुलना में कहीं अधिक प्रभावशाली बनाती है।
DRDO का प्रोजेक्ट विष्णु: हाइपरसोनिक तकनीक में अगला कदम
भारत का प्रोजेक्ट विष्णु हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक के विकास में एक प्रमुख मील का पत्थर है। ‘हाइपरसोनिक’ शब्द का मतलब है वह गति जो ध्वनि की गति से कम से कम पाँच गुना तेज हो। ET-LDHCM एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो अत्यधिक तेज गति पर उड़ सकती है और अपने लक्ष्य को सटीकता से निशाना बना सकती है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य भारत को ऐसी मिसाइलों से लैस करना है जो न केवल तेज हों, बल्कि दुश्मन के रडार से बचते हुए अपने लक्ष्य तक पहुँच सकें।
स्क्रैमजेट इंजन: हाइपरसोनिक गति का असली रहस्य
ET-LDHCM का सबसे अहम पहलू इसका स्क्रैमजेट इंजन है, जो हवा से ऑक्सीजन खींचता है। पारंपरिक रॉकेट इंजन को अपनी गति बनाए रखने के लिए ऑक्सीजन के साथ ईंधन की आवश्यकता होती है, लेकिन स्क्रैमजेट इंजन हवा से ही ऑक्सीजन लेता है। इसका परिणाम यह होता है कि मिसाइल का वजन कम हो जाता है और वह अत्यधिक उच्च गति से उड़ सकती है। यह तकनीक मिसाइल को हल्का और शक्तिशाली बनाती है, जिससे उसकी गति और रेंज दोनों बढ़ जाती हैं।
स्क्रैमजेट तकनीक: एक क्रांतिकारी बदलाव
स्क्रैमजेट तकनीक का विकास पहले सोवियत संघ द्वारा किया गया था, और इसके बाद अमेरिका, चीन और भारत ने इसे अपनाया। यह तकनीक विशेष रूप से सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक गति प्राप्त करने के लिए अत्यधिक प्रभावी है। स्क्रैमजेट इंजन के द्वारा, हवा में से ऑक्सीजन खींचने के साथ-साथ उच्च तापमान और दबाव के बावजूद मिसाइल की संरचना बनी रहती है, जिससे यह और भी अधिक सटीक और ताकतवर बनती है।
1000 सेकंड तक स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण
DRDO ने नवंबर 2024 में स्क्रैमजेट इंजन का 1000 सेकंड तक परीक्षण किया था, जो एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस परीक्षण से यह साबित हो गया कि यह इंजन अत्यधिक उच्च तापमान और तेज गति (2,000 डिग्री सेल्सियस तक) को सहन करने की क्षमता रखता है। मिसाइल की गति लगभग 11,000 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुँच सकती है, जिससे यह किसी भी सामान्य रॉकेट से तीन गुना तेज हो जाती है। इस परीक्षण से यह भी साबित हुआ कि मिसाइल हवा के साथ आसानी से उड़ सकती है और विभिन्न वातावरण में काम करने की क्षमता रखती है।
हाइपरसोनिक मिसाइल की विशेषताएँ: अविश्वसनीय सटीकता और तेज़ी
ET-LDHCM मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता इसकी अविश्वसनीय सटीकता और तेज़ी है। यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ सकती है, जिससे रडार के लिए इसे पहचानना बेहद मुश्किल हो जाता है। मिसाइल का मार्ग उड़ान के दौरान बदला जा सकता है, जिससे दुश्मन के रडार से बचते हुए यह अपने लक्ष्य तक पहुँच सकती है। मिसाइल को जमीन, समुद्र और एयरक्राफ्ट से लॉन्च किया जा सकता है, जिससे यह भारतीय सेना के विभिन्न अंगों के लिए उपयोगी बनती है।
मिसाइल का इस्तेमाल और इसके द्वारा लक्षित क्षेत्र
ET-LDHCM की विशेषता यह है कि यह मिसाइल 2,000 किलोग्राम तक के हथियार ले जा सकती है, चाहे वे पारंपरिक हथियार हों या परमाणु हथियार। इस मिसाइल की क्षमता यह सुनिश्चित करती है कि भारत किसी भी प्रकार की संकटपूर्ण स्थिति में प्रभावी ढंग से अपने दुश्मनों को टारगेट कर सकता है। इस मिसाइल का डिजाइन इसे समुद्र, हवा और जमीन से लॉन्च किए जाने के लिए उपयुक्त बनाता है, और यह दुश्मन के रडार स्टेशनों, नौसैनिक जहाजों और कमांड सेंटरों को नष्ट करने की क्षमता रखती है।
प्रोजेक्ट विष्णु: हाइपरसोनिक हथियारों का भविष्य
DRDO के प्रोजेक्ट विष्णु के तहत हाइपरसोनिक तकनीक पर आधारित 12 अलग-अलग प्रकार के हथियारों का विकास किया जा रहा है। इनमें न केवल हमलावर मिसाइलें शामिल हैं, बल्कि ऐसे इंटरसेप्टर मिसाइल भी होंगे जो दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर सकेंगे। ये हाइपरसोनिक हथियार भारतीय सेना की शक्ति को और भी मजबूत बनाएंगे और भारत को एक प्रमुख सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करेंगे।
मिसाइल के भविष्य की योजनाएँ और इसका प्रभाव
ET-LDHCM जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें भारतीय सेना में 2027-2028 तक शामिल हो सकती हैं। इसके बाद, 2030 तक पूरी तरह से इनका उपयोग युद्धक्षेत्र में किया जा सकेगा। यह मिसाइल ब्रह्मोस की तुलना में तीन गुना तेज है, और इसके द्वारा दुश्मन के रडार से बचते हुए अपने लक्ष्यों को सटीकता से निशाना बनाने की क्षमता है। इस तकनीक का विकास भारत को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख सैन्य शक्ति बना सकता है।
भारत का रक्षा क्षेत्र: भविष्य की दिशा
भारत का रक्षा क्षेत्र अब तेजी से विकास कर रहा है, और हाइपरसोनिक मिसाइलों के सफल परीक्षण से यह साबित हो गया है कि भारत अब रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक मजबूत ताकत बन चुका है। ET-LDHCM जैसी मिसाइलों का विकास भारतीय सेना के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है, जो न केवल सुरक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत को विश्व स्तर पर अपनी सैन्य शक्ति को साबित करने का एक नया अवसर भी प्रदान करेगा।