Jagdeep Dhankhar News: भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है। 21 जुलाई 2025 को उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंपा। धनखड़ का यह फैसला राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है और अब सवाल उठ रहा है कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा।
स्वास्थ्य कारण या कुछ और?
धनखड़ ने अपने पत्र में कहा कि वे लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, और डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने पद छोड़ने का निर्णय लिया है। हालांकि, विपक्षी दलों का मानना है कि मामला केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है और इसके पीछे कुछ राजनीतिक कारण भी हो सकते हैं।
राज्यसभा में अस्थायी बदलाव
धनखड़ उपराष्ट्रपति होने के साथ-साथ राज्यसभा के सभापति भी थे। उनके इस्तीफे के बाद अब राज्यसभा की कार्यवाही की जिम्मेदारी उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के पास अस्थायी रूप से आ गई है। मानसून सत्र की कार्यवाही उन्हीं की अध्यक्षता में चल रही है।
भारत का अगला उपराष्ट्रपति कौन?
भारत के संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव 60 दिनों के भीतर करना अनिवार्य होता है। ऐसे में चुनाव आयोग जल्द ही अधिसूचना जारी करेगा और अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। संसद के दोनों सदनों के सदस्य गुप्त मतदान के जरिए उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।
संभावित उम्मीदवारों की चर्चा
सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके सहयोगी दलों की नजर अब ऐसे नेता पर है जो राजनीतिक रूप से मजबूत हो, संसद में प्रभावशाली हो और राष्ट्रीय पहचान रखता हो। पूर्व राज्यपालों, वरिष्ठ मंत्रियों और अनुभवी सांसदों के नाम पर विचार किया जा रहा है।
हरिवंश नारायण सिंह का नाम भी संभावित उम्मीदवारों की सूची में है क्योंकि वे पहले से राज्यसभा के उपसभापति के रूप में कार्य कर रहे हैं और उन्हें सभी दलों का सम्मान प्राप्त है। हालांकि अंतिम फैसला NDA नेतृत्व द्वारा किया जाएगा।
उपराष्ट्रपति बनने की योग्यता
- भारतीय नागरिक होना चाहिए
- न्यूनतम आयु 35 वर्ष
- राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता
- किसी लाभ के पद पर कार्यरत नहीं होना चाहिए
धनखड़ का कार्यकाल और योगदान
जगदीप धनखड़ ने 2022 में उपराष्ट्रपति का पद संभाला था। अपने तीन वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही को अनुशासित ढंग से संचालित किया और कई अहम विधेयकों को पारित कराने में भूमिका निभाई। हालांकि, न्यायपालिका पर उनके कुछ बयान विवादों में रहे, लेकिन संसद में अनुशासन लाने के लिए उनकी भूमिका को सराहा गया।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने उनके इस्तीफे पर संदेह जताया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस्तीफे के पीछे केवल स्वास्थ्य कारण नहीं हो सकते। विपक्ष का मानना है कि इससे जुड़ी आंतरिक राजनीति को समझना जरूरी है।
निष्कर्ष
धनखड़ के इस्तीफे ने देश की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। अब सबकी नजरें आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव पर टिकी हैं। क्या सत्ता पक्ष एक सर्वमान्य चेहरा सामने लाएगा या चुनावी मुकाबला दिलचस्प मोड़ लेगा — यह आने वाला समय बताएगा।