JPSC मामला क्या है?
JSSC द्वारा सहायक आचार्य पद के लिए आयोजित परीक्षा के बाद कई उम्मीदवारों ने यह आरोप लगाया कि आयोग ने जो नॉर्मलाइजेशन फार्मूला लागू किया है, वह सही नहीं है। जिन उम्मीदवारों ने उत्तीर्ण अंक प्राप्त किए थे, उन्हें दस्तावेज सत्यापन के लिए नहीं बुलाया गया, जबकि कई कम अंक पाने वाले उम्मीदवारों को बुला लिया गया।
याचिकाकर्ताओं का दावा
इस मामले में कुल 151 याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल की गईं, जिनमें से अधिकांश याचिकाकर्ता पारा शिक्षक वर्ग से हैं। इनका कहना है कि विज्ञापन में साफ कहा गया था कि नॉर्मलाइजेशन फार्मूला अंतिम चयन सूची में लागू होगा, लेकिन आयोग ने इसे दस्तावेज जांच से पहले ही लागू कर दिया। इससे उनके स्कोर कम दिखाए गए और वे चयन प्रक्रिया से बाहर हो गए।
कोर्ट का हस्तक्षेप
जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने JSSC को आदेश दिया है कि वह 151 सीटों को सुरक्षित रखे, ताकि यदि फैसला याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आए, तो उनके हित प्रभावित न हों। कोर्ट ने आयोग से मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई की तारीख 18 अगस्त तय की गई है।
आंकड़ों पर एक नजर
- पारा शिक्षक श्रेणी के लिए कुल 2734 सीटें आरक्षित थीं।
- लेकिन नॉर्मलाइजेशन लागू होने के बाद केवल 276 उम्मीदवार ही चयनित हुए।
- इस प्रक्रिया में 2200 से अधिक सीटें खाली रह गईं।
निष्कर्ष
इस पूरे घटनाक्रम ने JPSC की भर्ती प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि कोर्ट में साबित हो गया कि नॉर्मलाइजेशन का गलत तरीके से इस्तेमाल हुआ है, तो पूरी चयन प्रक्रिया को दोहराया भी जा सकता है। झारखंड में शिक्षक बनने की चाह रखने वाले हजारों उम्मीदवार इस फैसले पर टकटकी लगाए बैठे हैं।