इस बार के National Film Awards 2025 में साउथ सिनेमा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। कई प्रमुख श्रेणियों में तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों ने बाजी मारी। उर्वशी, एमएस भास्कर और विजयाराघवन जैसे अनुभवी कलाकारों को बड़े पुरस्कार मिले, जिससे साफ है कि साउथ इंडस्ट्री कंटेंट के मामले में लगातार आगे बढ़ रही है।
- मलयालम और तमिल फिल्मों का दबदबा रहा।
- साउथ के एक्टर्स ने बेस्ट सपोर्टिंग रोल्स जीते।
- ‘हनु-मैन’ को मिला बेस्ट एक्शन कोरियोग्राफी का सम्मान।
- तेलुगु फिल्म ‘Baby’ ने स्क्रीनप्ले और म्यूजिक में पुरस्कार जीते।
बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर्स: विजयाराघवन और एमएस भास्कर ने दिखाया अभिनय का दम
इस साल बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का पुरस्कार दो शानदार अभिनेताओं को साझा रूप से मिला – मलयालम फिल्म ‘Pookkaalam’ के विजयराघवन और तमिल फिल्म ‘Parking’ के एमएस भास्कर। दोनों ने अपने अभिनय से न केवल किरदारों को जीवंत किया, बल्कि दर्शकों और जूरी का दिल भी जीत लिया।
- विजयराघवन ने ‘Pookkaalam’ में एक बुजुर्ग व्यक्ति का शानदार चित्रण किया।
- एमएस भास्कर की परफॉर्मेंस ‘Parking’ में संवेदनशील और इमोशनल रही।
- दोनों ने अपने-अपने भाषाई सिनेमा को नई ऊँचाई दी।
बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस: उर्वशी की ‘Ullozhukku’ में दमदार परफॉर्मेंस
मलयालम फिल्म ‘Ullozhukku’ में अपने संवेदनशील और भावनात्मक अभिनय से उर्वशी ने बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का पुरस्कार जीता। फिल्म में उन्होंने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया जो सामाजिक और पारिवारिक दबावों के बीच अपनी पहचान ढूंढने की कोशिश कर रही है।
- उर्वशी का किरदार गहराई और भावनाओं से भरा हुआ था।
- ‘Ullozhukku’ की कहानी परिवार और समाज के मुद्दों पर केंद्रित है।
- उनके अभिनय ने फिल्म को एक नई संवेदनशीलता दी।
बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट: सुकृति वेणी की ‘Gandhi Tatha Chettu’ में मासूमियत ने किया प्रभावित
तेलुगु फिल्म ‘Gandhi Tatha Chettu’ में सुकृति वेणी बंड्रेड्डी ने बाल कलाकार की भूमिका में बेहतरीन अभिनय किया। उन्होंने इतनी सहजता और मासूमियत से अपना किरदार निभाया कि दर्शक उनके प्रदर्शन से मंत्रमुग्ध हो गए।
- कम उम्र में गहरी परफॉर्मेंस देना बड़ी बात होती है।
- फिल्म में उनका रोल कहानी की भावनात्मक नींव था।
- जूरी ने उनके अभिनय को बेहद सराहा।
बेस्ट स्क्रीनप्ले: ‘Baby’ और ‘Parking’ की दमदार कहानियों को मिला सम्मान
इस साल की दो फिल्मों ने स्क्रीनप्ले कैटेगरी में पुरस्कार जीता – साई राजेश नीलम की तेलुगु फिल्म Baby और रामकुमार बालकृष्णा की तमिल फिल्म Parking। इन फिल्मों की पटकथा ने दर्शकों को कहानी से जोड़कर रखा।
- Baby ने युवा प्रेम और संघर्ष को संवेदनशीलता से दर्शाया।
- Parking ने सामाजिक मुद्दों को व्यावहारिक रूप से दिखाया।
- दोनों स्क्रीनप्ले ने मौलिकता और इमोशन को संतुलित किया।
बेस्ट प्रोडक्शन डिजाइन: ‘2018: Everyone is a Hero’ की तकनीकी श्रेष्ठता
मलयालम फिल्म ‘2018: Everyone is a Hero’ के प्रोडक्शन डिजाइन को मोहंदास ने शानदार तरीके से प्रस्तुत किया। फिल्म के दृश्य इतने जीवंत थे कि आपदाओं के समय की हकीकत दर्शकों को महसूस हुई।
- फिल्म 2018 के केरल फ्लड्स पर आधारित है।
- सेट्स, बैकग्राउंड और विजुअल इफेक्ट्स सभी ने प्रशंसा बटोरी।
- तकनीकी टीम ने रियलिस्टिक माहौल तैयार किया।
बेस्ट एक्शन कोरियोग्राफी: ‘हनु-मैन’ में एक्शन का नया स्तर
तेलुगु फिल्म हनु-मैन ने सर्वश्रेष्ठ एक्शन कोरियोग्राफी के लिए पुरस्कार जीता। इस फिल्म के एक्शन सीन्स ने दर्शकों को हैरान कर दिया। यह फिल्म साउथ इंडस्ट्री की नई टेक्नोलॉजिकल और विजुअल क्राफ्ट की मिसाल बन गई।
- आधुनिक CGI और रीयल स्टंट का संतुलन।
- दर्शकों को एक्शन सीन में सिनेमाई थ्रिल मिला।
- साउथ इंडस्ट्री में सुपरहीरो जॉनर की नई शुरुआत।
संगीत और गायन में साउथ का बोलबाला
तेलुगु और तमिल फिल्मों ने संगीत की कैटेगरी में भी दम दिखाया। Vaathi के गानों को बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन मिला, जबकि Balagam के “Ooru Palletooru” के लिए कसर्ला श्याम को बेस्ट लिरिसिस्ट का अवॉर्ड मिला। साथ ही, Baby के गाने “Premisthunna” के लिए पीवीएनएस रोहित को बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर चुना गया।
- साउथ फिल्मों का म्यूजिक अब नेशनल लेवल पर पॉपुलर हो रहा है।
- भावपूर्ण गीतों और दमदार लिरिक्स को सराहना मिली।
- मेल सिंगिंग में युवा टैलेंट्स को बढ़ावा मिला।
बेस्ट एडिटिंग: ‘Pookkaalam’ की एडिटिंग ने रखा दर्शकों को जोड़े
मिधुन मुरली को मलयालम फिल्म Pookkaalam के लिए बेस्ट एडिटिंग का पुरस्कार मिला। फिल्म की कसी हुई एडिटिंग और फ्लो ने दर्शकों को अंत तक जोड़े रखा। इमोशनल ड्रामा को संभालने में एडिटिंग की अहम भूमिका रही।
- सटीक कट्स और नेरेटिव पेसिंग की सराहना।
- इमोशनल टोन को बनाए रखने में मददगार एडिटिंग।
- टेक्निकली साउंड और इनोवेटिव अप्रोच।
सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्में: चार भाषाओं में चमके साउथ के मोती
हर साल की तरह इस बार भी क्षेत्रीय फिल्मों को सम्मानित किया गया, और साउथ की चार भाषाओं – मलयालम, तमिल, कन्नड़ और तेलुगु – की फिल्मों ने शीर्ष स्थान पाया। इन फिल्मों की कहानियां, निर्देशन और अभिनय ने उन्हें विशिष्ट बनाया।
- मलयालम: Ullozhukku – पारिवारिक और सामाजिक भावनाओं का सुंदर चित्रण।
- कन्नड़: Kandeelu – स्थानीय विषयों पर आधारित मजबूत कहानी।
- तमिल: Parking – व्यावसायिक ड्रामा और सामाजिक संदेश का मेल।
- तेलुगु: Bhagavanth Kesari – मनोरंजन और भावनाओं का संपूर्ण पैकेज।
निष्कर्ष: साउथ सिनेमा का बढ़ता प्रभाव
71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स ने दिखा दिया कि भारतीय सिनेमा अब केवल हिंदी फिल्मों तक सीमित नहीं है। साउथ की फिल्मों में न केवल टेक्निकल क्वालिटी है, बल्कि कंटेंट और भावनात्मक गहराई भी है, जो दर्शकों से कनेक्ट करती है। आने वाले वर्षों में साउथ इंडस्ट्री के और ऊँचाइयों पर पहुंचने की पूरी संभावना है।
- साउथ फिल्में अब राष्ट्रीय पहचान बना चुकी हैं।
- गुणवत्ता, मौलिकता और इमोशन इन फिल्मों की ताकत हैं।
- यह एक साउथ सिनेमा के लिए गोल्डन एरा साबित हो रहा है।
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